वाराणसी में किसानों का उत्सव: आईसीएआर-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में प्रधानमंत्री की नई कृषि योजनाओं का लाइव प्रसारण, किसानों में दिखा उत्साह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नई दिल्ली के पुसा परिसर से देश के कृषि क्षेत्र को नई दिशा देने वाली कई ऐतिहासिक योजनाओं का शुभारंभ किया, जिनमें प्रमुख हैं — ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’, ‘पल्स (दलहन) आत्मनिर्भर मिशन’, ‘राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन’, तथा कृषि आधारभूत संरचना कोष।
इन योजनाओं का सीधा प्रसारण आईसीएआर–भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी में किया गया, जहां किसानों में जबरदस्त उत्साह का माहौल देखने को मिला।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रदेश के आयुष एवं खाद्य सुरक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने कहा —

“भारत कृषि प्रधान देश है और आज हम खाद्यान उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुके हैं। प्रधानमंत्री की पहल से जीएसटी दरों में कटौती होने से किसानों के लिए ट्रैक्टर और कृषि यंत्र खरीदना सस्ता हुआ है, जिससे वे आर्थिक रूप से और मजबूत बन रहे हैं।”

उन्होंने किसानों से स्वयं सहायता समूह बनाकर संगठित खेती करने का आग्रह किया और बताया कि “लखपति दीदी” एवं “ड्रोन दीदी” जैसी पहलें महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रेरक उदाहरण हैं।

कार्यक्रम के मुख्य बिंदु:

  • प्रधानमंत्री ने योजनाओं के माध्यम से 100 कम उत्पादक जिलों में कृषि उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
  • योजनाएँ केंद्र और राज्य सरकार की 36 योजनाओं को 11 मंत्रालयों के समन्वय से एकीकृत करेंगी।
  • दलहन आत्मनिर्भर मिशन (2025-31) की अनुमानित लागत ₹11,440 करोड़ है, जिसका लक्ष्य भारत को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है।
  • राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के माध्यम से रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता घटाकर पर्यावरण-अनुकूल खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • देशभर में 10,000 किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) का गठन कर किसानों को बाजार और तकनीक से जोड़ा जाएगा।

कार्यक्रम के दौरान संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि ये योजनाएँ कृषि उत्पादकता, पोषण सुरक्षा और ग्रामीण विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगी।
उन्होंने कहा कि संस्थान सब्जी फसलों के अनुसंधान, जैविक खेती, बीज उत्पादन और तकनीकी प्रसार के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

कार्यक्रम में लगभग 713 से अधिक किसान, वैज्ञानिक और छात्र शामिल हुए।
कृषक जागरूकता सत्रों में डॉ. नीरज सिंह, डॉ. राकेश कुमार दुबे, डॉ. हरे कृष्णा, डॉ. डी.पी. सिंह, डॉ. सुदर्शन मौर्या और आत्मानंद त्रिपाठी ने किसानों को नवीन तकनीक, बीज उपचार और मशरूम उत्पादन के बारे में जानकारी दी।
संस्थान द्वारा बीज किट और तकनीकी पुस्तिकाओं का वितरण भी किया गया।

समापन सत्र में डॉ. नागेंद्र राय ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ये योजनाएँ “भारतीय कृषि को आत्मनिर्भर और टिकाऊ बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम” साबित होंगी।

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