गंगा को नमन कर हुईं भावुक~~~
राज्यसभा की पूर्व सांसद और बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री जयाप्रदा अपने बड़े भाई राजा बाबू के अस्थि कलश को लेकर यहां पहुंचीं। सफेद सूट और दुपट्टे में सादगी से लिपटी जयाप्रदा के चेहरे पर शोक और संयम का भाव साफ झलक रहा था। उनके साथ परिवार के कुछ सदस्य भी थे।
अस्सी घाट पर वैदिक मंत्रों के बीच ब्राह्मणों ने पूजा-अर्चना की और फिर जयाप्रदा नाव पर सवार होकर मणिकर्णिका घाट की ओर बढ़ गईं। वहां, गंगा की गोद में अपने भाई की अस्थियों को विसर्जित करते हुए उन्होंने अंतिम विदाई दी।
जयाप्रदा ने मीडिया से ज्यादा बात तो नहीं की, लेकिन इतना जरूर कहा कि काशी मोक्ष की नगरी है, इसलिए मैं अपने भाई की अस्थियां यहीं लेकर आई। यह पल उनके लिए निजी दुख का था, लेकिन काशी की आध्यात्मिकता ने उन्हें सुकून देने का काम किया।
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