झोला छाप डॉक्टरो की बल्ले बल्ले

कुम्भकर्ण नींद में सोये हुए है जिला के आला अधिकारी जिससे पनप रहे झोला छाप डॉक्टर
पिण्डरा।।

सर.. जो तेरा चकराए, दिल डूबा जाये… तो आजा प्यारे पास हमारे…काहे घबराए….. याद आ गए न जॉनी वॉकर? .ये गाना तो गुजरे ज़माने की फिल्म बूट पोलिश में जानी वॉकर ने मुंबई की सडक़ो पर गाया था, लेकिन आज वाराणसी जिले में अपना जाल बिछा कर बैठे फर्जी डॉक्टर ये गाना गुन गुना रहे है हम बात कर रहे जिले समेत ग्रामीण अंचलों में झोला छाप डाक्टरो की जहा अवैध जांच क्लिनिकों का बढ़ रहा कारोबार, फर्जी जांच कर बना रहे है डेंगू, मलेरिया का मरीज जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण इलाको तक इन दिनों अवैध क्लिनिक बिना अनुमति के खुल रहे है और स्वास्थ्य विभाग इन से अंजान बनी हुयी है। चंद पैसो की खातिर भगवान के रूप में माने जाने वाले चिकित्सक ही इन्हे बढ़ावा दे रहे है। जांच में न डाक्टर है न टेक्निशियन वही चिकित्सक अपनी नीजि स्वार्थ के लिए साधारण बीमारी में भी जांच,एक्स-रे एवं अल्ट्रा साउण्ड और ईसीजी लिखने से नहीं हिचकते। नतीजन जांच क चक्कर में मरीजो का शोषण तो होता ही है जान तक गवाना पड़ता है। जब इनके खिलाफ शिकायत होती है तो एक रस्म अदाई करवाई कर अधिकारी अपना फर्ज अदा कर देते है फिर से ये फर्जी डॉक्टर अधिकारियों की मौन स्वीकृति पर अपना क्लिनिक संचालित करने में लग जाते है।

जिला मुख्यालय समेत ग्रमीण इलाको पिण्डरा बाजार,फूलपुर बाजार,करखियाँव, कुआर,अनेई,सिंधोरा बाजार,कठीराव बाजार,मंगारी बाजार,बड़ागाँव बाजार,ताड़ी बाजार,धवकल गंज, और भी कई गांवों सुदूर अंचल मै झोला छाप डॉक्टर नीम हकीम मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे है सिर्फ पैसे के पुजारी बने हुए है कई डॉक्टर के पास डिग्री तो आयुर्वेदिक या होम्योपैथिक की होती है किंतु वो इलाज एलोपैथिक पद्दति से ही करते है।

बिना इंजेक्शन बाटल चढ़ाये या मरीजों को एक दो दिन भर्ती किये बिना उनका उपचार इनके यहां सम्भव ही नही है दो तीन दिन इनको हाई डोज देकर मोटी रकम वसूलना इनका कर्तव्य बन गया है। बीएमओ से लेकर सीएचएमओ व प्रशासन को सब मालूम है की यहाँ कितने आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक डिग्री धारी डॉक्टर एलौपेथिक तरीके से इलाज कर रहे है ।कितनी प्रशासन बीएमओ सी एमओ व तहसीलदार गाँधी जी के तीन बंदरों की तरह मुँह कान व आँख पर उँगली धरे बेठे है इससे पहले भी झोलाछाप डॉक्टर कई अनजान अनपढ़ ग्रमीणो की जान ले चुके है बावजूद इसके चिकित्सा विभाग ऐसे तथाकथित डॉक्टरों के खिलाफ करवाई नही कर रहा। सूत्रों ने बताया कई बार ऐसे डॉक्टरों द्वारा दी जाने वाली दवाइ व इंजेक्शन के चलते मरीज की मौत हो चुकी है लेकिन इनके खिलाफ कोई करवाई नही हो रही है।

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