26 मार्च से 23 अप्रैल तक रहेगा चैत्र मास

बीमारियों से बचने और लंबी उम्र के लिए इस महीने में व्रत-उपवास और सूर्य पूजा करने की परंपरा
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आज से चैत्र महीना शुरू हो गया है। जो कि 23 अप्रैल तक रहेगा। इस महीने में सूर्य अपनी उच्च राशि, मेष में प्रवेश करता है। इन दिनों वसंत ऋतु रहती है और मौसम भी बदलता है। जिससे सेहत संबंधी बदलाव भी होते हैं।
इस महीने को भक्ति और संयम का महीना भी कहा जाता है। क्योंकि इन दिनों में कई व्रत और पर्व आते हैं। सेहत को ध्यान में रखते हुए इस महीने में आने वाले व्रत-पर्व की परंपराएं बनाई गई हैं।
इस महीने में सूर्योदय से पहले उठकर ठंडे पानी से नहाना चाहिए। इसके बाद उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर दिनभर में एक बार ही खाना खाना चाहिए। ऐसा करने से बीमारियों से बचे रहते हैं और उम्र भी बढ़ती है। ये बातें पुराणों के साथ ही आयुर्वेद ग्रंथों में कही गई है।
पौराणिक मान्यता अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी। इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में जल में से मनु की नौका को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया था। प्रलयकाल खत्म होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई।

धर्म और आध्यात्म: चैत्र महीने में करना चाहिए ये काम

  1. महाभारत के मुताबिक इस महीने एक समय खाना-खाना चाहिए।
  2. नियमित रुप से भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करनी चाहिए और व्रत भी करने चाहिए।
  3. इस महीने सूर्योदय से पहले उठकर ध्यान और योग का विधान है। ऐसा करने से तनाव मुक्त और स्वस्थ्य रहते हैं।
  4. इस महीने में सूर्य और देवी की उपासना करना चाहिए। जिससे पद-प्रतिष्ठा के साथ ही शक्ति और ऊर्जा भी मिलती है।
  5. चैत्र महीने के दौरान नियम से पेड़-पौधों में जल डालना चाहिए और लाल फलों का दान करना चाहिए।

आयुर्वेद के मुताबिक क्या करें और क्या नहीं

  1. चैत्र महीने में एक वक्त खाना खाने से बीमारियों से बचे रहते हैं।
  2. इस महीने में गुड़ खाने की मनाही है। वहीं, नीम के पत्ते खाने की बात आयुर्वेद कहता है।
  3. सोने से पहले हाथ-मुंह धोने चाहिए और पतले कपड़े पहनने चाहिए।
  4. हल्के कपड़े पहनने चाहिए। संतुलित श्रंगार करना चाहिए।
  5. इस महीने भोजन में अनाज का उपयोग कम से कम और फलों का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए।
  6. इस महीने से बासी भोजन, खाना बंद कर देना चाहिए।
  7. आयुर्वेद के मुताबिक इस महीने में ठंडे जल से स्नान करना चाहिए। गर्म पानी से नहीं नहाना चाहिए।

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