बनारस की सड़कों पर अक्सर मंत्री, सांसद या बड़े अधिकारियों के काफिले निकलते देखे जाते हैं। लेकिन इस बार मामला अलग है — यह काफिला न किसी नेता का था, न किसी अधिकारी का, बल्कि एक यूट्यूबर का।
गाड़ियों का भौकाल इतना कि जब ‘साहब’ सड़क पर निकलते हैं तो ट्रैफिक रोक दिया जाता है। बाउंसर बीच सड़क उतर कर रास्ता खाली कराते हैं। हूटर बजाती हुई लग्ज़री गाड़ियाँ रसूख और पावर का एहसास कराती हैं। गाड़ियों पर काली फिल्म और दबदबा साफ दिखाई देता है।
राजभर समाज का रोल मॉडल बताता है खुद को
यह यूट्यूबर खुद को राजभर समाज के युवाओं का रोल मॉडल बताता है। समर्थकों का दावा है कि उसके पास भारी जनसमर्थन है, लेकिन सवाल उठता है कि कानून की खुली धज्जियां उड़ाने की छूट आखिर किसने दी?
पुलिस से उठ रहे सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह खुलेआम भौकाल दिखाना और ट्रैफिक रोकना पुलिस और प्रशासन के लिए भी बड़ी चुनौती है। दबी जुबान से यहां तक कहा जाता है कि कुछ सत्ताधीशों का संरक्षण मिलने की वजह से कार्रवाई से गुरेज किया जाता है।
छितौना कांड में रही थी चर्चा
गौरतलब है कि हाल ही में चर्चित छितौना कांड में भी इस यूट्यूबर की अहम भूमिका सामने आई थी। उस समय भी पुलिस प्रशासन को पसीना छूट गया था। अब एक बार फिर यह मामला चर्चा में है।
जनता की अपील
लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इस तरह की गतिविधियाँ कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करती हैं। आम जनता ने पुलिस प्रशासन से अपील की है कि ऐसे तथाकथित ‘भौकालियों’ पर सख़्त कार्रवाई हो ताकि समाज में सही संदेश जा सके।
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