एडवोकेट एक्ट में अमेंडमेंट अधिवक्ता हित कारी नही–एके सिंह अधिवक्ता

पिण्डरा–समाज और आम जन मानस की न्याय व्यवस्था के लिए लड़ाई लड़ने में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले वकीलों के लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिवक्ता विधेयक में हो रहे संशोधन को लेकर वकीलों में नाराजगी है। वकील पुरजोर तरीके से इसका विरोध कर रहे हैं।वकीलों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा विधेयक में किए जा रहे संशोधन को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।उक्त बाते युवा अधिवक्ता एके सिंह ने कहा।उन्होने कहा कि सरकार इस विधेयक में जो संशोधन करने जा रही है, उससे यह साफ है कि सरकार इस विधेयक के माध्यम से वकीलों की फ्रीडम ऑफ स्पीच को खत्म करने का प्रयास कर रही है।संशोधन अधिवक्ताओं पर जबरन थोपने का प्रयास किया जा रहा है. धारा 19 (1) A के अंतर्गत जो बोलने की स्वतंत्रता दी गई है, उस पर सरकार द्वारा अंकुश लगाने का प्रयास किया जा रहा है।इस कानून के तहत वकीलों की आवाज को दबाने का काम किया जा रहा है।वकील जब किसी मामले की जिरह करता है तो कई बार उसे आक्रामक रुख दिखाना पड़ता है, लेकिन इस कानून के बाद वकीलों में डर पैदा हो जाएगा।धारा 35-A को शामिल करना, इसमें न्यायालय के काम से बहिष्कार करने पर रोक लगाने का प्रावधान है।कोर्ट के काम से बहिष्कार या न्यायालय के कामकाज या कोर्ट परिसर में बाधा डालने के सभी आह्वान धारा 35ए(1) के अनुसार निषिद्ध हैं। प्रावधान का कोई भी उल्लंघन कदाचार माना जाएगा। हालांकि, मसौदे पर लोगों की राय मांगी गई है, और सभी वकीलों द्वारा इस पर अपनी बात को रखने का प्रयास किया जा रहा है।इस विधेयक के तहत न्यायाधीश या कोई भी न्यायिक पदाधिकारी लापरवाही व अनुशासनहीनता पर वकील का लाइसेंस रद्द कर सकता है।जिसका हम अधिवक्ता निन्दा करते है।

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