देवता हुए सशंकित, देवी सरस्वती से लगाई गुहार
ननिहाल से अयोध्या आने पर भईया भरत ने जैसे ही ज्येष्ठ भ्राता श्री राम के वनवास की समाचार सुनी तो हतप्रभ रह गए।माता कैकेई द्वारा मांगे दो वचनों सहित सम्पूर्ण व्रतांत सुनते ही भरत ने स्वयं को इस घोर पाप का भागीदार माना।श्री आदि रामलीला लाट भैरव वरुणा संगम काशी के तत्वावधान में मंगलवार को भरत का वन प्रस्थान व भरत घंडइल की लीला का मंचन किया गया।लीला में अयोध्या से भरत अयोध्यावासियों संग राज्याभिषेक की सभी सामग्रियों को लेकर वन जाते हैं।देवतुल्य ज्येष्ठ भ्राता श्री राम को वापस लाने का मन बना चुके भरत को पश्चाताप की अग्नि जलाए जा रही थी।वन के दुर्गम मार्गों को देखकर उससे होने वाले कष्ट को स्वयं सहन करते हुए मां गंगा के तट पर पहुंचे।पीलीकोठी स्थित धनेसरा तालाब पर घंडइल पार की लीला में मां गंगा को प्रणाम कर गंगा पार किया।वन प्रस्थान के दौरान रथ पर सवार तीनों माताओं सहित गुरु वशिष्ठ भाई शत्रुघ्न व मंत्रीगण भी साथ थे।भरत के भातृत्व प्रेम को देख देवलोक में देवता इस बात से सशंकित हैं कि कही भरत राम को वापस लाने में सफल न हो जाएं।झाल मंजीरे की खनकार के मध्य कीर्तन मंडली ने प्रसंगानुसार चौपाईयों का गान किया।भरद्वाज ऋषि के आश्रम में लीला को विश्राम दिया गया।लीला समिति की ओर से प्रधानमंत्री कन्हैयालाल यादव, व्यास दयाशंकर त्रिपाठी, सहव्यास पंकज त्रिपाठी, केवल कुशवाहा, गोविंद, धर्मेंद्र शाह, शिवम अग्रहरि, चंद्रिका प्रसाद, रामप्रसाद मौर्य, ओमप्रकाश आदि रहें।
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