अमर शहीद पंडित चन्द्रशेखर आजाद को सेंट्रल जेल मे जिस जगह पर कोङे लगे थे उस जगह पर अधिवक्ताओ का जत्था पुरे जोशोखरोश के साथ शाम पांच बजे पहुचा ,अधिवक्ताओ ने जेल के अंदर जाने के लिये लिखित परमिशन मागी थी,अनुमति मिलने पर अधिवक्ता गण अपने साथ जेल मे फुल माला और दीप लेकर जेल के अंदरपहुचे ,जेल के बाहर उनके मोबाइल जमा करा लिये गये थे,अन्य औपचारिकता पुरी करने के बाद अधिवक्ता गण ने बालक चन्द्रशेखर की प्रतिमा पर माल्यापर्ण किया और दीप जलाकर उस जगह को आलोकित किया ।पुरा जेल परिसर भारत माता की जय ,वन्दे मातरम ,जब तक सुरज चांद रहेगा चन्द्रशेखर आजाद का नाम रहेगा के नारो से गुंज गया।अंत मे राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम की समाप्ति हुयी।
बता दे चन्द्रशेखर आजाद जब मात्र बारह साल के थे तब अंग्रेज सिपाही का सर फोङने के जुर्म मे बारह कोङे की सजा सुनाई गयी थी ,कोङे सेंट्रल जेल मे लगे थे ,उस जगह पर आजादी के रजत जयंती पर पुर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी ने बालक चन्द्रशेखर की दिवाल मे एक तस्वीर बनवाकर एक छोटा सा प्लेटफार्म बनवा दिया था तब से उस जगह पर आजाद के शहादत दिवस पर और जन्मजयंती पर लोग श्रद्धान्जलि देने और याद करने पहुचते है।हांलाकि जेल के अंदर जाने की औपचारिकता इतनी कठिन है कि कम लोग ही जा पाते है।मंगलवार को बनारस बार के पुर्व अध्यक्ष राजेश मिश्रा,महामंत्री नित्यानन्द राय,नित्यानन्द चौबे,विनोद पांडे भैयाजी,सुनील सिंह ,शैलेन्द्र चौबे ,राजेश तिवारी विजय पाडें दिव्यांग,विपिन शुक्ला ,पवन पाठक आदि आजाद को याद करने सेंट्रल जेल पहुचे थे।नित्यानन्द राय ने जेल परिसर मे उस जगह पर भब्य स्मारक बनाने की मांग की है लेकिन जेल मैन्युल के कारण वहां स्मारक बनना बहुत कठिन है लेकिन योगी जी के शासनकाल मे 2018मे एक भब्य प्रतिमा उस स्थल से पचास मीटर की दुरी पर स्थापित की गयी है।
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