डेढ़ घंटे में बिना रुके दी 1600 चक्कर की प्रस्तुति, वी. अनुराधा ने नृत्य से संकटमोचन को किया नमन

मंगलवार का दिन होने के कारण पूरा मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ था। इसके पूर्व पहली प्रस्तुति में काशीराज परिवार के प्रद्युम्न नारायण सिंह ने तबला वादन किया। उन्होंने तीन ताल में ताल उठान के जरिये संकटमोचन संगीत समारोह के मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

संकटमोचन संगीत समारोह की चौथी निशा कई मायनों में बेहद खास बन गई। पहली बार जहां काशी नरेश परिवार के प्रद्युम्न नारायण सिंह ने मंच पर दस्तक दी तो वहीं भोपाल से आईं वी. अनुराधा ने कथक की भावभंगिमाओं के नए कीर्तिमान भी गढ़े। डेढ़ घंटे की प्रस्तुति के दौरान बिना रुके 16 सौ चक्कर में कथक की प्रस्तुतियों से श्रोताओं को अचंभित कर दिया। कथक में हर सेकंड में ढाई चक्कर दर्शकों के लिए भी नवीन अनुभव था।

शिव वंदना के 45 चक्कर में की भगवान शिव की वंदना

मंगलवार को भोपाल से आईं वी. अनुराधा सिंह ने कथक की शुरुआत शिव वंदना शिव शिव शिव शिव शंभू भोलानाथ… से की। महज 16 सेकंड में 45 चक्कर में वंदना पूर्ण हुई। इसके बाद घुंघरुओं की पांच लय में सारंगी के साथ संगत ने ऐसा जादू जगाया कि श्रोता भी सम्मोहित होकर हर उतार-चढ़ाव, थाप के साथ खुद को जोड़ रहे थे। 

तीसरी प्रस्तुति राग हंसध्वनि में तराना नाग नथैया… के जरिये काशी के लक्खा मेले को मंच पर सजीव किया। रायगढ़ घराने की अनुराधा ने स्वरचित वंदना संकटमोचन नाम तिहारो में तिरकत धुन धुन के आठ प्रकारों से महाबली को नमन किया।

पहली बार काशी नरेश के परिवार से प्रद्युम्न नारायण सिंह ने दी प्रस्तुति

इस दौरान हनुमान जन्मोत्सव का दृश्य मंच पर सजीव हुआ, घुंघरुओं की झंकार, तबले की थाप के संयोजन के जरिये गरजते हुए बादल और पृथ्वी को छू लेने को आतुर बिजलियों का चमकना हर किसी को आश्चर्य से भर गया। पं. कार्तिक राम और पं. रामलाल की शिष्या ने समापन आठ तिहाइयों में चैती चैत मासे बोले रे कोयलिया… से पूरे मंच को उल्लसित कर दिया। 

तबला, गायन और बोलपढ़ंत में सलीम अल्लावाले, वायलिन पर अमित मलिक और सारंगी पर जाकिर ने संगत की।

About The Author

Share the News