नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। भारत में सिख समुदाय की स्थिति को लेकर अमेरिका में दिए एक बयान के बाद वाराणसी एमपी-एमएलए कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली राहुल गांधी की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है।
मामला सितंबर 2024 का है, जब अमेरिका में एक कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने भारत में सिखों की स्थिति पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि “भारत में सिखों के लिए माहौल अच्छा नहीं है। क्या सिख पगड़ी पहन सकते हैं, कड़ा रख सकते हैं और गुरुद्वारे जा सकते हैं?” उनके इस बयान को भड़काऊ और समाज में विभाजनकारी बताते हुए विरोध दर्ज किया गया था।
वाराणसी कोर्ट का आदेश:
वाराणसी के नागेश्वर मिश्रा ने इस बयान को लेकर सारनाथ थाने में एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की थी। मुकदमा दर्ज न होने पर उन्होंने अदालत का रुख किया। ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने 28 नवंबर 2024 को यह कहते हुए वाद खारिज किया कि मामला अमेरिका में दिए गए भाषण से जुड़ा है और क्षेत्राधिकार से बाहर है। इसके बाद नागेश्वर मिश्रा ने सत्र न्यायालय में निगरानी याचिका दायर की, जिसे 21 जुलाई 2025 को एमपी/एमएलए कोर्ट ने स्वीकार कर लिया और राहुल गांधी के खिलाफ आदेश जारी किया।
हाईकोर्ट का फैसला:
राहुल गांधी ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि वाराणसी अदालत का आदेश अवैध और अधिकार क्षेत्र से बाहर है। साथ ही, इस आदेश पर रोक लगाने की मांग की। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उनकी याचिका को खारिज कर दिया। इस तरह वाराणसी एमपी-एमएलए कोर्ट का आदेश फिलहाल बरकरार रहेगा।
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