हाईकोर्ट ने कहा- प्रदेश में टीचरों के पद खाली, यह बच्चों के मूल अधिकार का हनन

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 ए के तहत प्राथमिक शिक्षा बच्चों का मूल अधिकार है। सरकार का दायित्व है कि वह 6 से 14 साल के बच्चों को अनिवार्य रूप से शिक्षा प्रदान करें। यह तभी संभव है जब स्कूलों में अध्यापकों की नियुक्ति हो। प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में भारी संख्या में अध्यापकों के पद खाली पड़े हैं, जो कि अनुच्छेद 21-ए का उल्लंघन है।
कोर्ट ने अपर सचिव बेसिक शिक्षा उप्र से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर बताने का निर्देश दिया कि बच्चों की शिक्षा के मूल अधिकारों का हनन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई क्यों न की जाए। याचिका की अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाड़िया ने कृषि औद्योगिक विद्यालय की प्रबंध समिति की तरफ से दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए दिया।

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