जहां आज आधुनिक चिकित्सा आम आदमी की पहुंच से दूर होती जा रही है, वहीं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. टी. के. लाहिरी ने सेवा को ही जीवन का उद्देश्य बना लिया।
सन 2003 में कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग से रिटायर होने के बावजूद, उन्होंने समाज की सेवा से कभी विराम नहीं लिया। बल्कि, उन्होंने अपने पूरे करियर और उसके बाद भी हजारों ज़रूरतमंद मरीजों का निःशुल्क इलाज किया।
1994 से ही अपनी पूरी सैलरी गरीब मरीजों के इलाज के लिए दान करने वाले डॉ. लाहिरी आज भी अपनी पेंशन का बड़ा हिस्सा अस्पताल और समाजसेवा में समर्पित करते हैं।
जीवन का अनुशासन, सेवा का भाव
अविवाहित जीवन जीने वाले डॉ. लाहिरी प्रतिदिन सुबह 6 बजे पैदल चलकर BHU के सर सुंदरलाल अस्पताल पहुंचते हैं। वहां वह अपना अधिकांश समय OPD में मरीजों की जांच करने और उनका इलाज करने में बिताते हैं।
उनकी सादगी और सेवा का भाव उन्हें वास्तव में “धरती का भगवान” बनाता है।
पद्मश्री सम्मान
मानवता और चिकित्सा सेवा में उनके अद्वितीय योगदान को भारत सरकार ने “पद्मश्री” से सम्मानित किया। यह सम्मान सिर्फ एक डॉक्टर को नहीं, बल्कि सेवा-समर्पण की भावना को दिया गया।
शिक्षा और योगदान
कोलकाता में जन्मे डॉ. लाहिरी ने BHU से एमबीबीएस किया और अमेरिका में उच्च प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद भारत लौटकर BHU के सर्जरी विभाग को नई ऊँचाई दी।
उनकी कहानी यह साबित करती है कि “सेवा और मानवता किसी पद, पैसे या शोहरत की मोहताज नहीं होती।”
Gems of Banaras
डॉ. टी. के. लाहिरी न सिर्फ BHU बल्कि पूरे बनारस की धरोहर हैं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा सुख निःस्वार्थ सेवा और दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाने में है।
“हर महीने हम आपके सामने लेकर आएंगे Gems of Banaras की एक नई प्रेरक कहानी।
आपके अनुसार अगला ‘जेम ऑफ बनारस’ कौन होना चाहिए? कृपया कमेंट में बताइए।”
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